अपनों के विश्वास पर धोखा शायरी

Apnon ke Vishwas Per Dhoka Shayari

      दोस्तों प्यार विश्वास पर ही टिका होता है जिससे हम प्यार करने लग जाएं या फिर जिसे चाहने लग जाएं तो फिर उस पर अन्धा विश्वाश हो जाता है।  फिर चाहे दुनिया उसकी लाख बुराई कर ले उसमे कोई  नहीं आती, विश्वास चीज़ ही ऐसी है दोस्तों अगर किसी पर हो तो चाहे वो दुनिया का हर सच उसके सामने झूठा लगने लगता है। 
         पर उस खुदा पर से तो जैसे यकीं ही उठ जाता है अगर कभी पता चले की वो जिसपर हमने खुद से जयादा भरोसा किया जिसके लिए सारी दुनिया को झुठला दिया, वो तो हमसे बेवफाई कर रहा है या कहें की हमारे साथ विश्वासघात कर रहा है। 
         ऐसे में तरस आता है खुद पर और क्रोध आता ही उस विश्वास तोड़ने वाले पर, और दिमाग तो जैसे सुन्न सा हो जाता है और जुबान भी जैसे खामोश सी हो जाती है।
         ऐसे में काम आती है विश्वास पर धोखा शायरी, जो कहीं न कहीं हमारे दिल की भावनाओं को उजागर करती हैं।  जब भी कभी धोखेबाज शायरी ( dhokhebaj shayari ) की बात हो वहां विश्वास तोड़ने की बात न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता।  एम् सी ऍम इजी लाइफ ( Mcm Easy Life ) पर हम लाये है ऐसे ही शेर जो आपकी भावनाओं को दर्शाने में सहायक होंगे।

अपनों की बेवफाई पर शायरी (Apnon ki बेवफा shayari )

उस पर विश्वास करके मैंने फिर धोखा खाया….  दुनिया तो लाख समझती रही …  पर मेरा दिल ही न समझ पाया…

Us per vishwas karke maine fir dhokha khaya…. Duniya to lakh samjhati rahi… per mera dil he na samajh paya.. 

( यही तो बात है दोस्तों धोका होता ही वहां है जहाँ विश्वास हो, और जब विश्वास हो तो चाहे दुनिया उसे लाख बुरा कह ले दिल तो जैसे कुछ सुनता ही नहीं पर यकीं मानो वो घड़ी तो जैसे क़यामत की घड़ी होती है जब हमे ये पता चलता है की वो तो हमसे बेवफाई कर रहा है। )

वार करना था तो सीने पर वार करते…. तुमने तो विश्वास तोड़ कर कहीं का न छोड़ा । 

Vaar karna tha to seene per karte…. Tumne to vishwash tod kar kahin ka na choda..

( बात सही है दोस्तों अपने जब विश्वास तोड़ते हैं, तो जैसे जान सी निकल जाती है तब, अंदर ऐसा घाव से हो जाता है जो सीने या शरीर पर हो सकने वाले हर घाव से जयादा पीड़ादायक होता है।  धोखा खा कर वो हाल होता की समझ नहीं आता की किसे अपना कहें और किसे पराया, फिर तो किसी पर यकीं करने को दिल नहीं मानता। )

दुनिया के निकले मेरा दम न निकला… बेवफाई का खंजर ले कर आया… तू भी कुछ कम न निकला।

Duniya ke nikale mera dum na nikla…Bewafai ka khanjar le aaya…. tu bhi kuch kam na nikla…

(दोस्तों दुनिया लाख हमारे खिलाफ हो, अगर किसी अपने का साथ हो तो हम लड़ ही जाते हैं एक उसका सहारा और उस पर विश्वास ही तो होता है जो हमारी ताकत होता है परन्तु यदि वो कभी वक़्त आने पर बेवफाई कर जाए तो तो जैसे हम हार से जाते हैं। ) 

विश्वास की क्या बात करते हो साहब ये तो सिक्के का एक पहलु है…. पलट जाये तो धोखा मिलता है। 

Vishwas ki kya baat karte ho sahab ye to sikke ka ek pahlu hai…. Paltat jaye to dhokha milta hai…

( बात पूरी तरह सच है दोस्तों जहाँ विश्वास है वहां कहीं न कहीं धोखा भी है। विश्वास की असली परख तो विपरीत परिस्थितियों में होती है जैसे कभी सिक्का पलट जाये तो उस सिक्के की सूरत ही बदल जाती है वैसे ही वक़्त आने पर इंसान की फितरत भी बदल जाती है। ) 

हमारी हैरानी का सबब ये न था की तुम बदल गए…. हम तो इस बात से परेशां थे की तुम पर विश्वास कर ही क्यों लिया ।

Hamari hairani ka sabab ye na tha ki tum badal gaye… Hum to is baat se pareshan thy ki tum per vishwas kar hie kyon liya..

( दोस्तों जब कोई अपना विश्वास तोड़ दे तो खुद पर बड़ा गुस्सा आता है हम बार बार खुद को कोसते हैं की आखिर उस पर विश्वास करा ही क्यों, दोस्तों जीवन में बहोत से पल ऐसे आते हैं जब हमारे अपने बदल जाते हैं तब हम अंदर तक जैसे टूट हैं  मन बार बार साथ बिताई घड़ियों को याद करता है और जैसे रो ही देता है। )

एक तुझ पर यकीं ही कुछ ऐसा था कि हम अंगारों पर चल पड़े…. वार्ना आजकल तो लोग हाथ  मिलाने से भी डरते हैं। 

Ek tugh per yakin kuch aisa tha ki hum angaron per chal pade… Varna aajkal to log hath milane se bhi darte hain..

( भरोसा भी क्या चीज़ है दोस्तों जब हम किसी पर कर लेते हैं तो हम दुनिया को तो जैसे भूल ही जाते हैं उसका  साथ निभाना चाहे कितना ही मुश्किल क्यों न हो दिल घबराता नहीं, पर अगर हमे साथ वाले पर भरोसा न हो तो जैसे हर कदम संभल कर चलना पड़ता है। )

वफ़ा और विश्वास
( Wafa aur vishwas )

लाख वफ़ाएँ कर के तुम… माफ़ी के काबिल तो बन जाओगे पर.. विश्वाश के नहीं.. 

Lakh Wafaain kar ke tum…mafi ke kabil to ban jaaoge per vishwash ke nahi.

( बात सच है दोस्तों जो इंसान एक बार हमारे विश्वास को तोड़ देता है फिर चाहे वो कितनी भी अच्छाइयों कर ले हम उसे माफ़ तो कर देते हैं पर अपने दिल में उसे पहले जैसे जगह नहीं दे पाते। )

विश्वास और चाहत
( Vishwas aur chahat )

चाहना तो दूर की बात है… विश्वास तोड़ोगे तो… मिलने के लायक भी नहीं रहोगे। 

Cahana to door ki baat hai…. Vishwash todoge to… milne ki layak bhi nahi rahoge.

( इन थोड़े शब्दों में गज़ब की गहराई है गज़ब का गुस्सा है गज़ब की बद्दुआ है। क्योंकि जो इंसान हमारा विश्वास ही तोड़ दे फिर वो प्यार के काबिल कहाँ रहता है फिर तो उससे मिलने का भी दिल नहीं करता। )

हमराज़ दोस्त
( Humraz dost )

वो जो हमारा हमराज़ न रहा…. अब तो हमें कसमों पर भी ऐतबार न रहा ।

Wo jo humara  humraj na raha…  ab to kasmon per bhi aitbaar na raha

( बात खूब लिखा है दोस्तों कोई ऐसा जिसपर हम खुद जितना ही भरोसा करें अगर वो हमारी वो बातें जो हमने उसे अपना समझ कर पताई हों वो बातें अगर वो जग जाहिर करने लगे तो दुनिया भर की कसमों से विश्वाश ही उठ जाता है ऐसा विश्वासघात करने वाला दोस्त किसी को न ही मिले तो अच्छा है। )

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